राजस्थान बीजेपी में गतिरोध: 6 महीने बाद भी 4 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अटकी, आपसी खींचतान बनी वजह

जयपुर: राजस्थान बीजेपी में संगठन पर्व (संगठन चुनाव) शुरू हुए लगभग साढ़े छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन पार्टी अभी भी चार महत्वपूर्ण जिलों में अपने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति नहीं कर पाई है। यह गतिरोध पार्टी के भीतर चल रही आंतरिक खींचतान और बड़े नेताओं के बीच एक नाम पर सहमति न बन पाने का स्पष्ट संकेत है। 2 दिसंबर, 2024 को शुरू हुए इन चुनावों में बूथ स्तर से लेकर प्रदेशाध्यक्ष तक का निर्वाचन होना था, लेकिन कुछ जिलों में अभी भी ये प्रक्रिया अधूरी है।

अटके हुए जिले और उनकी चुनौतियाँ:

सूत्रों के अनुसार, दौसा, झुंझुनूं और धौलपुर सहित कुल चार जिलों में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अटकी हुई है। इन जिलों में स्थानीय राजनीतिक समीकरण और गुटबाजी एक मजबूत नेतृत्व स्थापित करने में बाधा बन रही है।

 

  • दौसा और झुंझुनूं: इन दोनों जिलों में बड़े नेताओं के बीच किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है। प्रत्येक नेता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को जिलाध्यक्ष बनवाना चाहता है, जिससे फैसला अधर में लटका हुआ है। यह स्थिति लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद और भी जटिल हो गई है, जहाँ इन जिलों में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा भी की जा रही होगी।
  • धौलपुर: धौलपुर में पार्टी को एक मजबूत और सर्वमान्य चेहरे की तलाश है। ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो न केवल संगठन को मजबूत कर सके, बल्कि आगामी चुनावों में पार्टी को विजय दिलाने में भी सक्षम हो। वर्तमान में ऐसा कोई चेहरा सामने नहीं आ रहा है जिस पर सभी की सहमति बन सके।

नेतृत्व पर सवाल:

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष [वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष का नाम, यदि उपलब्ध हो, अन्यथा 'प्रदेश अध्यक्ष'] के लिए इन नियुक्तियों को अंतिम रूप देना एक बड़ी चुनौती बन गया है। संगठन चुनाव का उद्देश्य पार्टी को निचले स्तर से मजबूत करना होता है, लेकिन महत्वपूर्ण जिलों में जिलाध्यक्षों की कमी संगठन की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती है। यह स्थिति न केवल कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकती है, बल्कि भविष्य के चुनावों के लिए पार्टी की तैयारियों को भी धीमा कर सकती है।

आगे की राह:

बीजेपी आलाकमान को जल्द से जल्द इन रिक्त पदों को भरने के लिए हस्तक्षेप करना होगा। आंतरिक गुटबाजी को समाप्त कर एक मजबूत और एकजुट नेतृत्व को सामने लाना पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर जब राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियां शुरू होनी हैं। इन नियुक्तियों में देरी से यह संदेश जाता है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है, जिसका विपक्षी दल फायदा उठा सकते हैं। देखना होगा कि कब प्रदेश नेतृत्व इन चार महत्वपूर्ण जिलों को उनका जिलाध्यक्ष दे पाता है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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